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Tuesday, 4 July 2017

सम्बन्ध को निभाना - Relationships

सम्बन्ध को जोड़ना......  एक कला है,
          लेकिन
"सम्बन्ध को निभाना" .... एक साधना है

जिंदगी मे हम कितने  सही और कितने गलत  है,
ये सिर्फ दो ही शख्स जानते हैं..
"ईश्वर "और अपनी "अंतरआत्मा"
 जिस तरह ईश्वर से कुछ भी छिपा नहीं है
उसी तरह अपनी अंतर् आत्मा
से भी कुछ नहीं छिपा है
इसलिये सम्बन्धों को साथ ले के चलें 
एवं व्यवहारिक बनें
अपनों का दिल से सम्मान करें अपनों के करीब रहें
अपने अपने ही होते हैं
सुख और दुःख की घडी में हमेशा साथ देते हैं

🙏


TO DEVELOP RELATIONS….  IS AN ART
BUT
TO MAINTAIN RELATIONS … IS ACCOMPLISHMENT

IN THE RACE OF LIFE
HOW MUCH WE ARE WRONG !
&
HOW MUCH RIGHT !!
IS KNOWN TO ONLY TWO
GOD AND THE INNER SIGHT…. (SOUL )

THE WAY EVERYTHING IS KNOWN TO GOD..
NOTHING IS HIDDEN FROM  INNER SIGHT…

ALWAYS TAKE ALONG YOUR NEAR & DEAR ONES.
RESPECTING THEM WITH YOUR HEART..

IT IS THE CLOSE ONES ONLY …
WHO ARE THERE, STANDING WITH YOU
TO SUPPORT YOU IN THE TIME
OF YOUR NEED AND STRIVE.
🙏


FLYFREE

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