प्रकृति
का
पहला
नियम
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती हैं ।
ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेती है ।
IF THE FIELD IS LEFT UNTENDED WITHOUT SEEDS
………. IT IS FILLED WITH WEEDS YIELDING NOTHING !
IF THE BRAIN IS NOT SEEDED WITH POSITIVE IDEAS !
……….. IDLE MIND IS
DEVIL’S FACTORY !!!
प्रकृति
का
दूसरा
नियम
जिसके पास जो होता है वह वही बांटता है।
सुखी "सुख
"बांटता है
दुःखी "दुःख " बांटता है
ज्ञानी "ज्ञान" बांटता है
भ्रमित "भ्रम "बांटता है
भयभीत" भय "बांटता हैं
HE WHO SHARES..WHAT
HE HAS…
“HAPPY”…WILL SHARE
HAPPINESS !
“SAD” …… WILL SHARE
SADNESS !
“WISE”.. WILL SHARE
INTELLIGENCE !!
“CONFUSED”… WILL
SPREAD CONFUSION !!
“FRIGHTENED”… WILL
SPREAD FEAR !!
प्रकृति
का
तिसरा
नियम
आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि
भोजन न पचने पर रोग बढते है।
पैसा न पचने पर दिखावा बढता है
बात न पचने पर चुगली बढती है ।
प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है।
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है ।
राज न पचने पर खतरा बढता है ।
दुःख न पचने पर निराशा बढती है ।
और सुख न पचने पर पाप बढता है ।
बात कडुवी बहुत है पर सत्य है
WHATEVER LIFE PROVIDE
LEARN TO DIGEST AND ASSIMILATE…
FOOD IF NOT DIGESTED…
RESULTS IN SICKNESS
WEALTH IF NOT ASSIMILATED…
RESULTS IN SHOWOFF
COMMENTS IF NOT
ASSIMILATED …
RESULTS IN GOSSIP..
APPREIATION IF NOT
ASSIMILATED..
RESULTS IN EGO..
CONDEMNATION IF NOT
ASSIMILATED….
RESULTS IN HOSTILITY
SECRETS IF NOT
ASSIMILATED….
RESULTS IN DANGERS
GRIEF IF NOT
ASSIMILATED…….
RESULTS IN HOPLESSNESS
HAPPINESS IF NOT
ASSIMILATED ….
RESULTS IN SINS
TRUTH PREVAILS,,,,
THOUGH BITTER
……FLYFREE….
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